बुधवार, 1 अगस्त 2012

ताबूत

एक किसान बहुत बूढ़ा होने के कारण खेतों में काम नहीं कर सकता था।  वह सारा दिन खेत के किनारे पेड़ की छाँव में बैठा रहता|  उसका बेटा खेत में काम करता रहता और रह-रह के सोचता कि  उसके पिता का जीवन अब व्यर्थ है क्योंकि वह कोई काम करने लायक नहीं रहे।  यह सोच-सोच कर उसका बेटा एक दिन इतना दुखी हो गया कि उसने लकड़ी का एक ताबूत बनाया और उसे घसीट कर पेड़ के पास ले गया।

उसने अपने पिता को उस ताबूत में लेटने के लिए कहा।  

बूढ़ा किसान एक शब्द भी बोले बिना उस ताबूत में लेट गया।  

ताबूत का ढक्कन बंद करके बेटा ताबूत को घसीटता हुआ खेत के किनारे ले गया जहाँ एक गहरी खाई थी।  

जैसे ही बेटा ताबूत को खाई में फैंकने लगा, ताबूत के अंदर से पिता ने उसे पुकारा।  

बेटे ने ताबूत खोला तो अंदर लेटे उसके पिता ने शांत भाव से कहा -"मैं जानता हूँ कि तुम मुझे खाई में फैंकने वाले हो पर उससे पहले मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूँ।" 

बेटे ने पूछा कि अब क्या है?   

तब उसके पिता ने कहा कि तुम चाहो तो बेशक मुझे खाई में फैंक दो पर इस बढ़िया ताबूत को नहीं फैंको।  

भविष्य में तुम्हारे बूढ़े होने पर तुम्हारे बच्चों को इसकी जरुरत पड़ेगी।

4 टिप्‍पणियां:

Shah Nawaz ने कहा…

रोचक और सीख देती कथा...

Sunil Kumar ने कहा…

सार्थक पोस्ट आँखें खोलने में सक्षम ......

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जितनी सार्थक सीख उतनी ही सार्थक पोस्ट !


ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये | आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !

मन्टू कुमार ने कहा…

बहुत खूब...