शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

पैरों के निशान

एक रात एक आदमी ने एक सपना देखा ।  उसने सपने में देखा कि वह और भगवान समुद्र तट पर साथ-साथ टहल रहे हैं ।  आकाश में उसकी बीती जिंद़गी के दृश्य चलचित्र की तरह चल रहे थे ।  उसने देखा कि उसकी जिंद़गी के हर पल में रेत में दो जोड़ी पैरों के निशान थे, एक उसके पैरों के और दूसरे भगवान के पैरों के ।  जब उसकी जिंद़गी का आखिरी दृश्य उसके सामने आया तो उसने पीछे मुड़कर रेत में पैरों के निशानों को देखा।  उसने पाया कि उसकी जिंद़गी के कई पलों में रेत में केवल एक जोड़ी पैरों के निशान थे।  उसने महसूस किया कि ये उसकी जिंद़गी के सबसे बुरे और दुख-भरे पल थे ।  इस बात से वह बहुत परेशान हुआ और उसने भगवान से पूछा कि भगवान आपने तो कहा था कि जब मैंने एक बार आपका अनुसरण करने का निश्चय कर लिया तो उसके बाद आप जिंद़गी की राह पर मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे ।  पर मैंने पाया है कि मेरी जिंद़गी के सबसे मुश्किल पलों में रेत में केवल एक जोड़ी पैरों के निशान हैं ।  मैं समझ नहीं पा रहा कि जब मुझे आपकी सबसे ज्यादा ज़रुरत थी तब आपने मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया ?” भगवान ने उत्तर दिया कि मेरे बच्चे, मैंने तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा ।  तुम्हारे बुरे और मुश्किल पलों में तुम केवल एक जोड़ी पैरों के निशान इसलिए देख रहे हो क्योंकि उस समय मैंने तुम्हें गोद में उठाया हुआ था ।

5 टिप्‍पणियां:

Kavita Prasad ने कहा…

bachpan main suni is katha ko yaad dilane ke liye shukriya...

shubhkamnayain!

maheshwari Kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर कथाएं है पढ़्कर बहुत अच्छा लगा। मेरे ब्लांग मे भी आप का स्वागत है ।

nirmal singh ने कहा…

वाह जी वाह मजे आ गये अंत में क्या लाइन है मजे आ गये,सचिन जी

Pawan Rajput ने कहा…

kya baat h, bhut khoob

Maheshwari kaneri ने कहा…

सभी कहानियाँ बहुत शिक्षाप्रद है . kaneriabhivainjana.blogspot.com’ में आप का स्वागत है