रामगढ़ के राजा ने रूपल नामक व्यक्ति की बुद्धिमानी की चर्चा सुनकर उसे अपना मंत्री नियुक्त किया । रूपल निष्ठा व चतुराई से अपना कार्य करने लगा । एक दिन राजा के मन में विचार आया की रूपल की बुद्धिमता की परीक्षा लेनी चाहिए । उन्होंने रूपल को राजभवन में बुलाया और उसके सामने भ्रमण का प्रस्ताव रखा । रूपल राजा की आज्ञा कैसे न मानता । दोनों रथ पर सवार हो घुमने निकल पड़े । घूमते - घूमते राजा को एक बगीचा दिखाई दिया । उन्होंने रथ रुकवाया । दोनों बगीचे में टहलने लगे ।
तभी एक आदमी की और संकेत कर राजा ने रूपल से पुछा - क्या तुम बता सकते हो इस व्यक्ति का नाम और व्यवसाय क्या है ?
रूपल ने एक क्षण विचार कर कहा - महाराज , उस व्यक्ति का नाम रूपल है और बढई का काम करता है ।
पता किया तो वास्तव में उस व्यक्ति का नाम और व्यवसाय वही था ।
राजा ने रूपल से इतनी जल्दी सही उत्तर देने का कारण पुछा ।
तो वह बोला - महाराज , जब आपने मुझे मेरा नाम लेकर बुलाया तो वह चौक पड़ा । मैं समझ गया की मेरा नाम ही उसका भी नाम है । बगीचे के सुंदर फूलो पर उसकी दृष्टी न होकर पेड़ के तनों पर थी । हर व्यक्ति का ध्यान अपने व्यवसाय से सम्बंधित चीजों पर होता है । इस तरह मुझे उसका व्यवसाय भी समझ गया । राजा ने रूपल की बुद्धिमानी से प्रसन्न हो उसे पुरस्कृत किया ।
सार यह है कि बुद्धिमानी से काम लिया जाए तो अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और समाज में लोकप्रियता मिलते देर नहीं लगती ।
तो वह बोला - महाराज , जब आपने मुझे मेरा नाम लेकर बुलाया तो वह चौक पड़ा । मैं समझ गया की मेरा नाम ही उसका भी नाम है । बगीचे के सुंदर फूलो पर उसकी दृष्टी न होकर पेड़ के तनों पर थी । हर व्यक्ति का ध्यान अपने व्यवसाय से सम्बंधित चीजों पर होता है । इस तरह मुझे उसका व्यवसाय भी समझ गया । राजा ने रूपल की बुद्धिमानी से प्रसन्न हो उसे पुरस्कृत किया ।
सार यह है कि बुद्धिमानी से काम लिया जाए तो अपने कार्यक्षेत्र में सफलता और समाज में लोकप्रियता मिलते देर नहीं लगती ।
3 टिप्पणियां:
बुद्धिमानी से काम लिया जाए तो अपने कार्य क्षेत्रमें सफलता और समाज में लोकप्रियता मिलते देर नहीं लगती.…… बिल्कुल सही कहा..शिक्षाप्रद कहानी……
बिल्कुल सही कहा|बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद कहानी|
Beautiful and inspiring story.
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