शुक्रवार, 25 मार्च 2011

स्वभाव का नतीजा

क मच्छीमार जाल लेकर नदी पर गया। उसने नदी में जाल फैलाया और किनारे पर बैठ गया। सन्धया के समय जब उसने जाल निकाला तो जाल में मछलियों के साथ केकड़े भी थे। उसके पास दो टोकरियां थीं। उसने एक टोकरी में मछलियां भर कर उस पर ढक्कन लगा दिया और दूसरी टोकरी में केकड़े भर कर उसे खुला छोड़ दिया।

नदी के किनारे पर टहलने के लिए आने वाले लोगों में से कुछ वयक्ति उन टोकरियों के पास रुक गये। उनमें से एक ने मछुवे को सम्बोधित करके कहा, "ओ मछुवे, तुम कितने भोले हो! दिनभर मेहनत की और अब घर खाली हाथ लौटना है क्या?"

मछुवे ने उनकी ओर देखकर पूछा, "क्यों, क्या बात है?"

वह आदमी बोला, "तुमने इस टोकरी में केकड़े भरे हैं और इसे ढक्कन लगाये बिना ही किनारे पर छोड़ दिया है। देखो, केकड़े बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं। एक-एक कर वे सारे टोकरी से बाहर आकर नदी में चले जायंगी। फिर तुम क्या करोगे?"

मछुवे ने कहा, "आप चिन्ता मत कीजिए। मैं इन केकड़ों के स्वभाव से परिचित हूं। ये रात भर उछल-कूद मचाने पर भी इस टोकरी की कैद से छूट नहीं सकते, क्योंकि जो केकड़े ऊपर चढ़ने की कोशिश करेंगे, नीचे वाले केक़े उनकी टांगें खींचकर उन्हें फिर नीचे ले जायंगे। जबतक इस टोकरी में एक से ज्यादा केकड़े मौजदू हैं, केकड़ा बाहर नहीं जा सकेगा।"